Saturday 11 July 2015

बारिश के मौसम में सर्दी-जुकाम जब करे परेशान

ध्यान रखें कि बारिश के मौसम में हमारी पाचन क्रिया और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इस लिए हमारी खान-पान उसी प्रकार होना चाहिए. उन खाने-पीने की चीजों का इस्तेमाल न करें, जो पचने में भारी हों. बीमार होने पर कुछ ऐसी दवाओं का इस्तेमाल करें और हमारे पेट को ठीक करे.
बारिश में भीगे नहीं कि सर्दी-जुकाम का शिकार! फिर शुरु होता घरेलू नुस्खों का दौर. अदरक, लौंग आदि की चाय. नहीं आराम आया तो भागे अंग्रेजी दवाओं के डाॅक्टर के पास. तुरंत ठीक भी होना है. लेकिन एक यह भी सच्चाई है कि ज्यादा अंग्रेजी दवाओं का प्रयोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता है. छोटी-छोटी तकलीफों में अंग्रेजी दवाओं के प्रयोग शरीर के लिए घातक साबित होता है. इसलिए अच्छा रहे कि बात-बात पर अंग्रेजी दवाओं के बजाय अन्य पद्धति की दवाओं का इस्तेमाल करें. जैसे होम्योपैथी. होम्योपैथी रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाकर बीमारी को दूर करती है, वो भी शरीर को हानि पहुंचाए बिना. सबसे बड़ी बात यह कि जब आपको अंग्रेजी दवाओं की जरूरत पड़ ही जाए तो अंग्रेजी दवाएं अधिक कारगर तरह से काम करती हैं और जल्दी ठीक भी होते हैं.
होम्योपैथी में सर्दी-जुकाम के लिए दवाओं का भंडार है. एकोनाईट, नेट्रम म्यूर, चायना, फेरम फाॅस, नेट्रम सल्फ, एलियम सीपा, सेंगुनैरिया, एसिड फास आदि
ध्यान रखें, जल्दी-जुल्दी सर्दी-जुकाम होने का मतलब आपका लीवर कमजोर होना भी है. बारिश के मौसम में हमारा लीवर अधिक प्रभावित होता है. इसलिए सर्दी-जुकाम की दवा के साथ-साथ लीवर की दवा भी ले लेनी चाहिए. यदि सर्दी-जुकाम के साथ एसिडिटी बनने और छाती में जलन है तो आईरिश वर्सि0 और नेट्रम सल्फ भी लें.
एकोनाइट नेपलेस: तेज छींक, तेज प्यास है तो इसे जरूर लें. इसके साथ नेट्रम म्यूर, चायना, भी लें.
कुछ दवाओं के संक्षिप्त लक्षण:
एकोनाइट नेपलेस: अचानक ठण्ड लग जाने तथा बार-बार छींक आने पर यह दवा काम करती है. किसी भी तकलीफ की तीव्रता में इसका अच्छा काम रहता ही है, साथ ही गला सूखता हो और तेज प्यास हो तो यह दवा तुरंत अपना असर दिखाती है. तेज छींक में इसके साथ नेट्रम म्यूर भी ले लेनी चाहिए. दोनों दवाओं की 30-30 पावर लेकर देखें. यह भी ध्यान रखें कि किसी समय खांसते-खांसते काफी परेशानी हो रही हो, बेचैनी घबराहट लगे, पानी की प्यास भी हो तो एक खुराक दे देनी चाहिए. यह किसी भी तकलीफ की बढ़ी हुई अवस्था, घबराहट, बेचैनी में बहुत अच्छा काम करती है तथा तकलीफ की तीव्रता कम कर देती है.
नेट्रम म्यूरियेटिकम:  हम जो नमक खाते हैं, उसी से यह दवा तैयार होती है. हल्की सी ठण्ड होते ही सर्दी-जुकाम हो जाता है. इस दवा का मुख्य लक्ष्ण है हाथ, पैर ठण्डे रहना. जिस भी बीमारी में यह लक्षण रहे, यह दवा उसे जरूर देकर देखनी चाहिए- चाहे बीमारी कोई भी हो.
बहुत अच्छा खाना खाने पर भी शरीर कमजोर रहना. बार-बार छींक आने, कब्ज रहने और प्यास लगने पर एकोनाइट नेपलेस के साथ इस दवा को देना चाहिए.
रस टाक्सिकोडेण्ड्रन: ठण्ड या पानी में भीग जाने के कारण सर्दी, जुकाम हो जाने और बदन दर्द में इस दवा का अच्छा काम है.
फेरम फास: रक्त संचय में अपनी क्रिया करती है. कोई तकलीफ एकाएक बढ़ जाने और किसी तकलीफ की प्रथम अवस्था में इसका अच्छा इस्तेमाल किया जाता है. यह किसी भी प्रकार की खांसी- चाहे बलगमी हो या सूखी सब में फायदा करती है. कमजोर व्यक्तियों ताकत देने में यह दवा काम में लाई जाती है. क्योंकि कुछ रोग कमजोरी, खून की कमी की वजह से लोगों को परेशान करते हैं. अतः खून में जोश पैदा करने का काम करती है. फेरम फाॅस आयरन है और दवा आयरन की कमी को भी दूर करती है.
नेट्रम सल्फ: जब मौसम में नमी अधिक होती है, चाहे मौसम सर्दी का हो या बारिश का या फिर और रात उस समय खांसी बढ़ती है. खांसते-खांसते मरीज कलेजे पर हाथ रखता है, क्योंकि खांसने से कलेजे में दर्द बढ़ता है. दर्द बाईं तरफ होता है. दवा दमा रोगियों को फायदा करती है. क्योंकि दमा रोगियों की तकलीफ भी बारिश के मौसम व ठण्ड के मौसम में बढ़ती है.
संगुनेरिया: रात में भयंकर सूखी खांसी, खांसी की वजह से मरीज सो नहीं सकता, परेशान होकर उठ जाना और बैठे रहना. लेकिल बैठने से तकलीफ कम न होना. सोने पर खांसी बढ़ना. दस्त के साथ खांसी. इसके और भी लक्षण है, महिलाओं को ऋतु गड़बड़ी की वजह से खांसी हुई हो तो उसमें यह फायदा कर सकती है. पेट में अम्ल बनने की वजह से खांसी होना, डकार आना. हर सर्दी के मौसम में खांसी होना.
एलियम सीपा: इस दवा का मुख्य लक्षण है जुकाम के समय पानी की तरह नाक से पानी बहना. बहुत तेज छींक. आंख से पानी आना. नाक में घाव होना. जुकाम के कारण सिर में दर्द हो जाना. गरमी में बीमारी बढ़ना.
चायना: चायना का कमजोरी दूर करने भूख बढ़ाने में बहुत अच्छा काम है. खांसी हो, भूख कम लगती हो तो कोई भी दवा लेते समय यह दवा ले लेनी चाहिए. काफी बार लीवर की कमजोरी, शरीर की कमजोरी की वजह से बार-बार खांसी परेशान करती है, बार-बार निमोनिया हो जाता है, खासकर बच्चों को. यदि चायना, केल्केरिया फाॅस, फेरम फाॅस कुछ दिन लगातार दी जाए तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. इस दवा के खांसी में मुख्य लक्षण है- खांसते समय दिल धड़कने लगता है, एक साथ खांसी अचानक आती है कपड़े कसकर पहनने से भी खांसी होती है. इसकी खांसी अक्सर सूखी होती है.
हीपर सल्फ:  इसकी खांसी बदलती रहती है, सूखी हो सकती है, और बलगम वाली भी. हल्की सी ठण्डी लगते ही खांसी हो जाती है. यही इस दवा का प्रमुख लक्षण भी है. ढीली खांसी व काली खांसी में भी यह विशेष फायदा करती है. जिस समय ठण्डा मौसम होता है, उस समय अगर खांसी बढ़ती हो तो, तब भी यह फायदा पहुंचाती है. जैसे सुबह, रात को खांसी बढ़ना. लेकिन ध्यान रखें कि यदि स्पंजिया दे रहे हों, तो हीपर सल्फ नहीं देनी चाहिए, यदि हीपर सल्फ दे रहे हों, तो स्पंजिया नहीं देनी चाहिए.
बेलाडोना: गले में दर्द के साथ खांसी, खांसी की वजह से बच्चे का रोना, कुत्ता खांसी, भयंकर परेशान कर देने वाली खांसी, खांसी का रात को बढ़ना. खांसी सूखी होना या काफी खांसी होने के बाद या कोशिश के बाद बलगम का ढेला सा निकलना. गले में कुछ फंसा सा अनुभव होना. बलगम निकलने के बाद खांसी में आराम होना, फिर बाद में खांसी बढ़ जाना.
इपिकाक: इसका मुख्य लक्षण है, खांसी के साथ उल्टी हो जाना. उल्टी आने के बाद खांसी कुछ हल्की हो जाती है. सांस लेते समय घड़-घड़ जैसी आवाज आना, सीने में बलगम जमना आदि इसके लक्षण हैं. यह दवा काफी तरह की खांसियों में फायदा करती है, चाहे निमोनिया  या दमा. कई बार ठण्ड लगकर बच्चों को खांसी हो जाती उसमें भी फायदा करती है. खांसते-खांसते मुंह नीला, आंख नीली हो जाना, दम अटकाने वाली खांसी छाती में बलगम जमना आदि इसके लक्षण हैं.
चेलिडोनियम: दाहिने कन्धे में दर्द होना, तेजी से सांस छोड़ना. बलगम जोर लगाने से निकलता है, वो छोटे से ढेले के रूप में. सीने में से बलगम की आवाज आती है. लीवर दोष की वजह से हुई खांसी में बहुत बढि़या क्रिया दिखाती है. खांसते-खांसते चेहरा लाल हो जाता है. खसरा व काली खांसी के बाद हुई दूसरी खांसी में इससे फायदा होता है.
कोनियम मैकुलेटम: बद्हजमी के साथ खांसी. खांसी सूखी जो स्वर नली में उत्तेजना से उत्पन्न खांसी. इस दवा का प्रमुख लक्षण है, खांसी रात को ही अधिक बढ़ती है, जैसे कहीं से उड़कर आ गई हो. खांसी के साथ बलगम आता है तो मरीज उसे थूकने में असमर्थ होता है, इसलिए उसे सटक जाता है.
एसिड फास्फोरिकम: यह दवा शरीर में ताकत देने का काम करती है और जवान होते बच्चों में अच्छी क्रिया करती है. इसकी क्यू पावर बहुत ही कारगर साबित हुई है. स्नायु कमजोरी और नर्वस सिस्टम को ठीक करती है. बहुत ही जल्दी सर्दी लग जाना. नाक से पानी बहना. तेज छींक, सोने के बाद खांसी बढ़ना. गले में सुरसरी होकर खांसी होना.
ध्यान रखें कि बारिश के मौसम में हमारी पाचन क्रिया और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. इसलिए हमारा खान-पान उसी प्रकार होना चाहिए. उन खाने-पीने की चीजों का इस्तेमाल न करें, जो पचने में भारी हों. बीमार होने पर कुछ ऐसी दवाओं का इस्तेमाल करें और हमारे पेट को ठीक करे.
नोट: उपरोक्त लेख केवल होम्योपैथी के प्रचार हेतु है. कृपया बिना डाॅक्टर की सलाह के दवा इस्तेमाल न करें. कोई भी दवा लेने के बाद विपरीत लक्षण होने पर पत्रिका की कोई जिम्मेवारी नहीं है. 

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