Saturday 31 January 2015

पेट दर्द, बदहजमी हो तो होम्योपैथी को करें याद

पल्सेटिला नाईग्रीकैन्स: तली हुई या देर से पचने वाली चीजें खाकर होने वाला पेट दर्द। खट्टी डकार, जलन, खट्टा पानी मुंह में आना। पेट फूलना, जीभ फटी हुई या सफेद व सूखी, प्यास न लगना। यदि खाना खाने के एक घंटे बाद जलन खट्टी डकार, पेट में दर्द हो तो यह दवा बहुत अधिक फायदा देती है।
मेगफास फास्फोरिका: इस दवा का असर बहुत बार तुरंत ही हो जाता है, मरीज और चिकित्सक दोनों आष्चर्य करते रह जाते हैं। स्नायविक दर्दों में इसका प्रयोग बहुत होता है। काले व कमजोर मरीजों पर इसका असर अच्छा होता है। इसका दर्द दबाने, किसी गर्म वस्तु से सिकाई करने वह चलने फिरने से कम होता है। काफी बार दर्द की जगह भी बदलती रहती है तथा दर्द रुक-रुककर होता है। पेट में मरोड़, ऐंठन का दर्द, कई तरह के दर्दों में यह दवा काम कर जाती है।
कार्बो वेजिटेविलिस: इस दवा का सबसे बड़ा लक्षण है डकार आने पर पेट का अफारा कम हो जाता है। पेट में षूल जैसा दर्द। यह दर्द कई बार सोने पर अधिक होता है। हल्की चीजें भी उसे हजम नहीं होती। दूसरा लक्षण है मरीज चिढ़चिढ़ा हो जाता है। अधिक सेक्स-सुख भोगी, देर रात तक जगना, षराब आदि नषा करना भी इस दवा के लक्षण हैं। इन्हीं लक्षणों की एक और दवा है- नक्स।
सिनकोना/चायना: इसका सबसे उपयोगी लक्षण खाने के बाद गले में अटका सा महसूस होना, याना जो खाया वह गले,छाती में ही अटक गया हो। कुछ भी हजम न होना, यहां तक फल भी नुकसान करते हैं। जरा सा खाते ही पेट भरा सा मेहसूस होना। थोड़ा सा खाते ही खाने से उठ जाना है। इसका रोगी डकार लाने की कोषिष करता है, लेकिन डकार आने पर भी उसे कोई आराम नहीं आता। यह दवा लीवर की बहुत अच्छी दवा है। यह षरीर  की कमजोरी को दूर करती है, लीवर को ताकत देती है और उसकी सूजन कम करती है। भूख बढ़ाने में इस दवा का बहुत अच्छा काम है। इसकी सहयोगी दवा चेलीडोनियम है।
आईरिस वर्सिकालरः यह खराब पानी से उत्पन्न बीमारी की मुख्य दवा है। बद्हजमी, खट्टी डकार, गले, अन्न नली, छाती में जलन। सिरदर्द, खट्टी उल्टी जिससे दांत भी खट्टे हो जाते हैं, मुंह में लार आते रहना। पेट में जो दर्द होता है वह अम्ल की वजह से होता है। यदि उपरोक्त लक्षण रहने के साथ पेट में दर्द हो तो आईरिस लेकर जरूर देखें।
स्पाईजेलिया एन्थेलमिण्टिकाः  हृत्पिंड की तकलीफ की यह मुख्य दवा है। जोर से कलेजा धड़कना। हृत्पिंड यानी नाभि से ऊपर, छाती के नीचे बीचो-बीच दर्द होना। इस तकलीफ के साथ बद्हजमी तथा मुंह, गले में जलन में यह दवा ‘आईरिस वर्सि0’ के साथ बहुत अच्छी क्रिया करती है। इस दवा का एक लक्षण है- दर्द वाली जगह में सुईं चुभने सा महसूस होना. स्पर्श सहन न होना।
बेलाडोनाः पेट दर्द की जगह जरा भी नहीं छुई जाती। दर्द एक बार जोर से होता है फिर षुरु हो जाता है, हाथ लगाने दर्द बढ़ता है। कई बार दर्द रुक-रुककर होता है। बेचैनी होती है।
नेट्रम म्यूरः इस दवा का कमजोर, दुर्बल व्यक्तियों पर अच्छा असर होता है। जो अच्छा खाना भी खाते हैं। कब्ज होती हो, शौच सूखा होता है। मुंह का स्वाद खराब व जीभ सफेद होती है, भूख अधिक लगती है, लेकिन षरीर को खाया पिया लगता नहीं। यह भी गैस निकासी व पेट की गर्मी की अच्छी दवा है। यदि इसके साथ काली म्यूर ली जाए इसकी क्रिया बढ़ जाती है और कब्ज भी ठीक करती है.
नेट्रम सल्फ: बाईं तरफ लेटने पर दर्द बढ़ता है, बारिष के मौसम में जलन, गैस बनना अम्ल बनना, जीभ पर पीला लेप, आंखों ,त्वचा पर पीला-पन, पीलिये की षिकायत लगना, यकृत दोश इसके लक्षण है।
नेट्रम फास: बच्चों व बड़ों में अम्ल पिŸा की तकलीफ, बच्चों के पेट में कीड़े होने से दर्द आदि तकलीफ, सोते समय मुंह से लार बहना, दांत किटकिटाना, मुंह में पानी भर आना, गैस बनना, खाना खाने के बाद पेट में दर्द आदि।
चेलिडोनियम मेजसः यह दवा लीवर की बहुत अच्छी दवा है। दाहिने भाग पर इसकी अच्छी क्रिया होती है। चायना इसकी सहयोगी दवा है। मैली- राख जैसी जीभ। गर्म या अन्य कोई चीज खाने से दर्द घट जाना, खाली पेट दर्द होना इसके मुख्य लक्षण हैं। इसमें पेषाब पीला, कंधे के दाहिने हिस्से में दर्द होता, मुंह का स्वाद भी बिगड़ जाता है।
डायस्कोरिया विल्लोसा: पेट में किसी प्रकार का दर्द हो, लेकिन जगह बदलने वाला दर्द इसका विषेश लक्षण है। शौच वाली जगह में भी दर्द होता है। दर्द के साथ पतले दस्त हों तो यह अच्छा काम कर सकती है। पेट दर्द में इसके और लक्षण हैं पीछे की ओर झुकने से आराम होना, दर्द वाली जगह दबाने से सिकुड़ना, बढ़ना।
कार्डुअस मेरिऐनस: पत्थरी का दर्द हो या लीवर दोश के कारण दर्द, पीलिये के लक्षण दिखाई देते हों तो उसमें भी यह अच्छा कार्य करती है और तुरंत असर दिखाती है।
केमोमीला: इसका मुख्य लक्षण है- गुस्सा. पेट दर्द के साथ गुस्सा बहुत आ रहा हो, साथ ही बेचैनी, घबराहट हो तो यह दवा फायदा कर सकती है, विषेशकर बच्चों को।
एण्टीमक्रूड: बच्चा हाथ लगाते ही रोता है। जीभ एक-दम सफेद- इसी लक्षण में पेट व अन्य तकलीफों में यह दवा जल्द आराम करती है। पेट की गर्मी दूर करती है। मुंह में मीठा पानी भर आना। ज्यादा खाना खाने की वजह से दर्द होना। एक बार दर्द ठीक होकर पुनः दूसरी जगह होना। खट्टा खाने की इच्छा होना, लेकिन हजम न होना। खाई हुई चीज उल्टी हो जाना।
लाईकोपोडियम क्लैवेटमः पेट के अन्दर गों-गों की आवाज होना, ऊपर की तरफ से पेट में अफारा अधिक होना, पेट फूलना, पेट गड़ गड़ाना, खाना के बाद ही पेट दर्द होना। यकृत की जगह हल्का-हल्का लगातार दर्द होना, पेट में बाईं तरफ अधिक दर्द होना, तेज भूख लगने के बावजूद थोड़ा सा खाना खाते ही पेट भरा सा महसूस होना, खाना खाने के कुछ देर बाद ही भूख लग आना।
कोलोसिंथः पेट में मरो़ड की तरह दर्द। बहुत अधिक गुस्सा होने की वजह से कोई बीमारी होना, चाहे पेट दर्द होना, सामने की ओर झुकने या पैर, घुटने मोड़ने, दर्द वाली जगह दबाने से आराम होना।
लियाट्रिस स्पाइकेटा: हृत्पिंड, पेट, लीवर आदि कहीं भी सूजन हो, इससे बहुत जल्दी सूजन ठीक होती है। पेशाब ज्यादा होकर सूजन में आराम आता है। इसकी  क्यू पावर की दवा 12 से 15 बूंदे आधा कप पानी में सुबह-शाम लेनी चाहिए। हृत्पिंड के दर्द में भी जल्द आराम आता है। इस दवा के विषेश लक्षण नहीं है, षरीर के किसी भाग या पेट, लीवर में सूजन महसूस होने पर दी जा सकती है।
मैग्नेशिया म्यूरियोटिका: कड़ी कब्ज, सूखा मल जो टूट-टूटकर निकलता है.। डकार में प्याज या सड़े अण्डे की सी बदबू. यकृत सख्त जिसमे हाथ लगाने या चलने से दर्द बढ़ता   है। दाहिने तरफ सोने, खाना खाने से दर्द बढ़ना। गैस बनना और गोले की तरह ऊपर की तरफ चढ़ना। कब्ज हो तो 200 से ज्यादा पावर देनी चाहिए। मुंह से थूक आते रहना। पैरों में सूजन. जीभ पर दांत के निषान बनना तथा जीभ पर पीला मैल जमना।
एबिस नाईग्रा: यह दवा सबसे अधिक फायदा पेट रोगों में करती है। हृत्पिंड की तकलीफ में भी।  गैस बनना व खट्टी डकारें आना, बुजुर्गों को होने वाली पेट की तकलीफों में यह दवा फायदेमंद है। खाना खाने के बाद पेट में दर्द व कब्ज भी इस दवा का लक्षण है, लेकिन इस दवा का मुख्य लक्षण है जिसमें कि यह   अधिक फायदा करती है वे है पेट में गोला सा महसूस होना, जैसे अण्डा हो। यह गोला पेट में पड़े खाने का भी हो सकता है और गैस का भी। सुबह भूख नहीं लगती है, लेकिन दिन के समय व रात को अच्छी भूख लगती है, भूख की वजह से सो नहीं पाता।

विशेष

कैरिका पेपयाः यह दवा कच्चे पपीते से तैयार होती है। पपीता लीवर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। जब खाने में कुछ भी हजम न हो रहा है, जो खाता है वही उल्ट देता हो, मुंह का स्वाद खराब हो, आंखें पीली, खून की कमी, कमजोरी, पानी के पीने से भी डरे तो भोजन करने के इस दवा की क्यू पावर की 10-12 बूंदें आधा कप पानी में खाना के बाद लेने से लाभ होता है।
नोट: उपरोक्त लेख केवल होम्योपैथी के प्रचार हेतु है. कृपया बिना डाॅक्टर की सलाह के दवा इस्तेमाल न करें. कोई भी दवा लेने के बाद विपरीत लक्षण होने पर पत्रिका की कोई जिम्मेवारी नहीं है.

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